1. न जानता क्यों फ़जल अजीब,
आ पहुँचा मेरे पास,
क्यों मुझ बदकार को यीशु ने,
खून से किया ख़लास
पर मैं अपने मसीह को जानता और यह भी मानता,
कि वह है कादिर,
कि मेरी अमानत रखे,
रखे सालिम ला ज़वाल
2. न जानता क्योंकर आया
यह अजीब मज़बूत ईमान,
ख़ुदा की बात पर जिससे अब,
इस दिल में है ईमान
3. न जानता क्योंकर रूह-ए-पाक
मुजरिम ठहराता है
दिखाता है सिर्फ़ यीशु को
ईमान उगाता है
3. न जानता मेरे लिये अब
है दुःख या सुख तैयार;
न जानता राह में होंगे ख़ार
या होंगे दिन बहाल
4. न जानता रब्ब कब आवेगा
बीच दिन, दोपहर, रात
कौन जानता है कब होवेगी
हवा में मुलाक़ात?