1. संसार में मेरा जब तक जीवन रहे तुझको सदा यह धन्य धन्य कह
यात्रा मेरी जब अन्त हो जाये,
पहुँचूँ मैं स्वर्गीय देश में
हल्लेलुयाह, हल्लेलुयाह, हल्लेलुयाह, प्रभु के लिये-2
2. ईश्वर को यह अच्छा लगा
मुझ को चुने,
अपने पुत्र को मुझ में प्रगट करे; ताकि उसका महान उद्धार,
अनन्त और सदा का जो;
अनुभव से मैं जानु,
यह सारी बाते हुइ मेरे लिये
3. क्रूस पर चढ़ाया गया,
अब मैं जीवित न रहा,
मसीह जीवित है;
जिसने मुझ से प्रेम किया
अपने आप को दे दिया,
उसकी निकटता को मैं जानूं
प्रभु के जीवन में बढ़ने के लिये
4. भूल कर काम एक करता हूँ, निशान की तरफ दौडा जाता हूँ; मसीह को मैं जानू
और जी उठने की शक्ति को,
दु:खों में सहभागी हो जाऊँ,
प्रभु की उत्तमता को पाने के लिये
5. संसार में मेरा जीउँगा
मैं हरदम यीशु के लिये,
मरना होगा लाभ मेरे लिये;
दु:ख और संकट भी
आते है मेरे लिये;
शुद्ध मुझे करने के लिए,
मिलने प्रभु से, योग्य होने के लिये
6. संसार में मेरा अर्घ की नाई आपको देने के लिये,
अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूँ
दौड पूरी की है;
विश्वास की रखवाली की है
मुकुट को पाने के लिये,
तैयार हूँ मैं यात्रा के लिये;
आशा मन में है वहाँ पहुँचने के लिये