हम हैं प्रभु का स्वर्गीय घराना
जिसमें प्रभु खुद ही रहता है
1. कैसा सुन्दर है प्रभु का घराना
चारों दिशाओं से बुलाया है
एक देह बने हैं नाता है लहू का
चाहे हज़ारों भाषा से हैं
2. एक नया मनुष्य हमको बनाया
स्वर्गीय कुटुंब के तो हम सब हैं
एक साथ मिलकर गठकर रहते
ईश्वर का डेरा हम बनते हैं
3. न कोई काला, गोरा धनी है
और न गरीब कोई बड़ा भी है
न कोई छोटा, अनपढ़ और ज्ञानी
यीशु प्रभु ही तो सब कुछ है
4. मन में विश्वास और दृढ़ता आशा है
यात्रा में जयवन्त उत्साही हैं
जग के लिये हम आदर्श बने हैं
शत्रु की हार पूरी इसी में है
5. वह दिन निकट है, प्रियतम आएगा
जागते रहो उसने कहा है
सच्चा विश्वासयोग्य बनकर रहते
धीरज से बाट उसकी जोहते हैं