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जी करदा है पंक्षी हो जावा -भजन संहिता 55:6 – Jee Karda Panchi Ho Java

भजन संहिता 55:6
जी करदा है पंक्षी हो जावा
उड़दा जावाँ गाऊँदा जावा-2
नाम मसीह विच्च वधदा जावाँ
मार उडारी ले होशियारी
हर हद नूं मैं उड्ड लंघ जावाँ

1. मेरे विच्च ओह, ओह दे विच्च मैं

हर वेले एह जापां-2

रूह ओहदी जिहड़ी, अन्दर वसदी

नाश करे सब पापां-2

नाम खुमारी ऐसी चड़ गई-2

भुल्ल भुला के इस दुनिया नूं

नाम मसीह विच्च लुट पुट जावाँ

2. तु समुद्र, तू किनारा,

 भला किवैं मैं नापा-2

तू हैं ऐसी कश्ती मेरी

वड़ीयाँ जिसदी चापा-2

रहम करम तू करीं खुदाया-2

अध्ध विचाले भुलके तैनूं

किधरे मैं डुब ही ना जावाँ

3. तू सच्चा तेरा वादा सच्चा

तूं हैं सच्चा मोती-2

राह हक्क ते ज़िंदगी तू हैं

तूं हैं जगत दी ज्योति-2

नूर तेरे दियाँ वेख के चमका-2

वाँग शमां दे लागे फिरदे

बण परवाना बलदा जावाँ