ज्योति से यीशु की दूर हो अंधियारी
फूल उठी मन में प्रेम की फुलवारी-2
1. तन मन तू सब धन तू
मालिक तू जीवन तू
जल थल में बादल में
शक्ति तेरी गरजन तू
कण कण में दिख पड़ी
छवि तेरी प्यारी
फूल उठी मन में प्रेम की फुलवारी
2. मार सहे क्रूस चढ़े
रक्त बहे कुछ न कहे
कृपा तेरी मुक्ति मेरी
तेरा वचन साथ रहे
पापन से प्रभु जी प्रीत तेरी न्यारी
फूल उठी मन में प्रेम की फुलवारी
3. शब्द तेरा गूँज उठा
जाग उठी मेरी लगन
सब्त स्वर्ण प्यार की धुन
झूम उठा सारा गगन
प्रेम में डूब गई ये दुनिया सारी
फूल उठी मन में प्रेम की फुलवारी