आरास्ता हो, ऐ मेरी जान,
कि बिछा है अब दस्तरख्यान,
जांच अपने को आरास्ता हो
ख़ुदावन्द की जियाफत को
1 ख़ुदावन्द मैं हूँ खताकार,
और हूँ हर बात में गुनहगार
मैं बुरे पेड़ की डाली हूँ,
और अछे फल से खाली हूँ
2. तू अपने कामिल फ़जल से,
आरास्तर्गी को मुझे दे
बे-रिया गम गुनाहों का,
और हक ईमान दे मुंजी का
3 ख़ुदावन्द मेरे तू हबीब,
मैं तेरा बन्दा हूँ गरीब;
मैं भूखा-प्यासा आता हूँ,
आसूदा हुआ चाहता हूँ
4 मसीह ! निआमत तेरी हैं,
उसी से दिल की सेरी है
आरास्ता हो, ऐ मेरी जान,
देख बिछा है एक दस्तरख्यान