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उस ख़ुदा-ए-पाक के – us khudai-e-paak ke

उस ख़ुदा-ए-पाक के,
साए में है कितना सुकून
वो मेरा घर है पनाह,
मेरी मैं ये सब से कहूं

1. उस पर ही तू रख उम्मीद

और उस पर ही कर ले यकीन

जाल से सैयाद के,

तुझको छुड़ा लेगा वही

वो तुझे अपने परों से,

ढांक लेगा प्यार से

उसकी सच्चाई है तेरी ढाल,

अब डरता है क्यों

2. चाहे दिन के तीर हों या,

रात की है बात हो

तुझ को छू भी ना सकेंगे,

चाहे जो हालात हो

इस तरफ कितने गिरेंगे,

उस तरफ भी बेशुमार

पर तेरे नजदीक भी ना,

आ सकेगी मौत यूं

3. तुमने हक्क-ताला को माना, इसलिए ये बात है

हर मुसीबत में या आफत में,

वो तेरे साथ है

शेर को भी रौंद कर तू,

यूं निकलता जाएगा

वो तुझे बख्शेगा इज्जत,

उम्र भर देगा सुकून