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हे जग स्वामी, अंतर्यामी-HE JAG SWAMI ANTARYAMI

हे जग स्वामी, अंतर्यामी,
तेरे सन्मुख आता हूँ
सन्मुख आता, मैं शरमाता
भेंट नहीं कुछ लाता हूँ

1. पापी जन हूँ, मैं निर्गुण हूँ

द्वार तेरे पर आता हूँ

2. मुझ पर यीशु कृपा कीजे

पापों से पछताता हूँ

3. पाप क्षमा कर दीजे मोरे,

मन से ये ही चाहता हूँ