1. जब जब गुनाह का सोचा
फिर याद तेरी आई
और कलवरी की धारा
फिर हृदय से यूं चिल्लाई
येशू तेरे होते गुनाह मैं कैसे करूँ
येशू तेरे होते ख़ता मैं कैसे करूँ-2
2. कभी कभी बगावत करता है मन
तुझ से भी सुन्दर लगता है धन-2
सोने की चमक पैसे की सदा
जाने दे कौन है तेरा ख़ुदा
तब मैं घुटनों पर झुकता हूँ
ग़ालिब आकर यूँ कहता हूँ
येशू तेरे होते बिकूँ तो कैसे बिकूँ-2
2. ये सच्चा है पाप का ज़ोर है
तेरा इश्क ही इसका तोड़ है-2
लिपटूँ तुझ से बच्चे की तरह
हाथों में तेरे डोर है
तू मेरी ख़ातिर पाप बना
ये सोचता हूँ तो कहता हूँ
येशू तेरे होते मैं नफ़रत कैसे करूँ-2