जो क्रूस पर कुर्बां है,
वो मेरा मसीहा है
हर जख्म जो उसका है,
वो मेरे गुनाह का है
1. इस दुनिया में ले आये,
मेरे ही गुनाह उसको,
मेरे ही गुनाह उसको
ये ज़ुल्म-ओ-सितम उस पर,
मैंने ही कराया है
2. इंसान है वो कामिल,
और सच्चा ख़ुदा वो है
और सच्चा ख़ुदा वो है
वो प्यार का दरिया है,
सच्चाई का रास्ता है
3. देने को मुझे जीवन,
ख़ुद मौत सही उसने,
ख़ुद मौत सही उसने
क्या खूब है कु्र्बानी,
क्या प्यार अनोखा है