ज़बूर – 139
ख़ुदाया तेरी रूह तो मैं
भला नस्स के किधर जावां
हुजूरी तेरी तों छुप के,
मैं केहड़ी तरफ नूं नस्सां
1. मैं चड जावां जे अस्मानां दे उत्ते
ओथे हैं तू ही
बिछावाँ बिस्तरा पाताल दे विच्च
ओथे हैं तू ही
समुंदरों पार जा उतरां
2. सुबह दे पंखा नूं फैला
ते ओथे वी तेरा हथ्थ मैंनू या
रब्ब राह दिखावेगा
3. ख़ुदाया तू करेंगा दस्तगीरी
आपे मेरी वी-2
तेरा हत्थ सज्जा ओस पाताल विच,
होवे मददे मेरी
4. जे मैं आखाँ कि मैंनु घुप्प हनेरा
हुण छुपावेगा-2
मेरे गिरद हनेरा वी तदओं
चानण हो जावेगा
5. नहीं है सामने तेरे हनेरा
घुप्प हनेरा वी
हनेरी रात तेरे सामने है
वांग चानण वी