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चाक पर अपनी रख मुझे-Chaak Par Apni Rakh Mujhe

1. चाक पर अपनी रख मुझे,

रूप अपना येशु दे मुझे

ज़लाल का अपने बर्तन बना

आकार दे अपने हाथों से,

तेरी मर्जी हो पूरी मुझ से

एक ऐसी मश्क मुझ को बना

फ़रियाद ये तुझ से ख़ुदा,

मुझ को उठा,

मुझ को बना

फरियाद ये तुझ से ख़ुदा,

मुझ को उठा,

मुझ को बना

को. भर दे रूह से,

अपनी सामर्थ्य से

पंखों में अपने छुपा

मिट्टी बेजान हूँ,

मुझ को उठा ले,

हाथों से अपने बना

2. बिगड़ न जाऊँ,

बिखर न जाऊँ मैं

तेरे हाथों में ही रहना चाहूँ मैं

दुनिया की भीड़ मैं,

कहीं खो न जाऊँ मैं

इस भीड़ में कुचल ना जाऊँ मैं

अपने साये में मुझ को छुपा,

अपने हाथों से मुझ को सजा

3. मेहफ़ूज़ हूँ में तेरे साये में ख़ुदा

तेरा हाथ में कभी न छोडूँगा

अपने साये में मुझको छुपा,

अपने हाथों से मुझको सजा