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जिस क्रूस पर यीशु मरा था-Jis krus Pe Yeshu Mua tha

जिस क्रूस पर यीशु मरा था,
वह क्रूस अद्भूत अब देखता हूँ
संसारी लाभ को छोटा सा,
और यश को निन्दा जानता हूँ

1.  मत फूल जा मेरे मूरख मन,

इस लोक के सुख और सम्पत्ति पर

हो ख्रीष्ट के मरने से प्रसन्न,

और उस पर सारी आशा धर

2.  देख उसके सिर हाथ पावों के घाव,

यह कैसा दु:ख और कैसा प्यारा

अनुठा है यह प्रेम स्वमान,

अनूप यह जग का तारणहार

3.  देख लोहू चादर के समान,

उस के शरीर को ढाप रहा

हे मन! संसार को बैरी जान,

और ख्रीष्ट के पीछे क्रूस उठा

4.  जो तीनों लोक दे सकता मैं,

इस प्रेम के योग्य यह होना क्यूँ

हे यीशु प्रेमी आप के मैं,

देह और प्राण चढ़ाता हूँ