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उठ जाग सवेलड़े खोल अक्खीं-uthe jaag musafir door deya

टेक – उठ जाग सवेलड़े खोल अक्खीं

हो लम्मी वाट मुसाफिरा चलण ईं

हत्थों देवैं असमान ते जमा हौसीं

तेरे मगरों वीं किसे ना घलणा ईं  एक दिन जा पैणा बंदिया होर अंदर

तेरे पासा वी किसे ना हलणा ईं

को. उठ जाग मुसाफ़िर दूर दिया
तैनूं नींद किधर दी आई ऐ
तेरे नाल दे साथी दूर गए
तूँ देर क्यों ऐवीं लाई ऐ

1. ऐ देश मुल्क बेगाना ऐ

ऐ झूठा सारा ज़माना ऐ-2

ऐ झूठा सारा ज़माना ऐ

ऐ दुनिया मुसाफ़िर खाना है

तू जग नाल् प्रीत क्यों लाई ऐ

तेरे नाल दे साथी दूर गए

2. जिहड़े असल हकीकत जाण गए

ओ जाण गए पहचान गए-2

ओ जाण गए पहचान गए

गुनाहगार जए उन्हूँ जान गए

तू ऐवीं उमर गवाँ लई ऐ

तेरे नाल दे साथी दूर गए

https://www.youtube.com/watch?v=A5jejrlTo3w