मेरा येशु है मुझको भला
वो ही काफी है सदा सर्वदा-2
दुःख में रोग में, हर मुसीबत में
मेरे मन वो ही काफी है तुझे-2
1. कलवरी के पहाड़ पर चढ़ा ,
था मुकुट कांटों का सीर पर-2
मेरी वेदना सब दूर करके मुझे,
नया जीवन प्रदान कर दिया-2
2. वो ही आदि वो ही अंत है,
दिव्य प्रेम का वोही स्रोत है-2
दस हज़ारों में, अतिश्रेष्ठ है वो
स्तुति वंदना के योग्य वो-2
3. जिंदगी का सफर है कठिन
आते हैं अवरोध पल-छिन्न-2
दिन में मेघ-स्तम्भ, रात्री अग्निस्तंभ
बनके राह चलाएगा मुझे-2
4. मेरे दुखों का होगा दमन
आंसू पोछेगा जो आँख होगी नम-2
राजा बनके जब बादलों पर आएगा
मैं भी उड़, उसके संग जाऊंगा-2
5. मेरा येशु है मुझको भला
वोह ही काफी है सदा सर्वदा-2
दुःख में रोग में , हर मुसीबत में
मेरे मन वोह ही काफी है तुझे-2