वो प्यारी सलीब दिखती है मुझे
पहाड़ पर खड़ी
के मसीह ने नदमत उठा
मेरे लिए जान दे
1. है वो सलीब लहू से भारी
दिखती है फिर भी कितनी हसीन
के मसीह ने क़ाफारा दिया
मुझको मिले ज़िंदगी
2. था नाम जिसका शर्मिंदगी
अब वो सलीब है ज़िंदगी
मेरी जीत का बना वो निशान
मसलूब येशू मसीह
3. छोड़ूँगा ना में प्यारी सलीब
रखूँगा इसको दिल के करीब
मेरी शिफ़ा मेरी नजात
है यह मेरी ज़िंदगी
मेरी शिफ़ा मेरी नजात,
है यह मेरी ज़िंदगी