Skip to content
Home » Song Book » » यात्री हूँ मैं जग में प्रभुजी-YATRI HU ME JAG ME PRABHU JI

यात्री हूँ मैं जग में प्रभुजी-YATRI HU ME JAG ME PRABHU JI

यात्री हूँ मैं जग में प्रभुजी, चलता हूँ मार्ग में तेरा,
  वह निशान, तू है यीशु जी, बन्दरगाह तू मेरा

1.   सोचा था मैं यह जग मेरा, खेत कुटुम्ब सब है प्यारा,

    धोखा सब! कोई न सहारा, व्यर्थ ही व्यर्थ है सारा

2.   धन दौलत सब मान व इज्जत, यहीं रहेगा जल जाएगा,

    यह जगत! पाप से जो भरा, श्राप ही श्राप है सारा

3.   जान गया मैं उस दिन प्रभु जी बदला जीवन लहू से मेरा

    बड़ा आनन्द! तूने कहा था, पाप क्षमा हुआ तेरा

4.   इस जग में अब मैं हूँ मुसाफ़िर क्रूस उठाकर चलता रहूँगा

    पाया मैं! अनमोल धन को, है जो यीशु से भरा

5    आँख जब मेरी बन्द हो जाए, यात्रा मेरी पूरी हो जाए

    पहुँचूँ मैं स्वर्गीय वतन में, यह है गीत अब मेरा