यीशु का प्रेम है, जीवन का आधार,
महासागर से भी है गहरा जीवन करता पार
1 प्रेम जगत में आया, पाप का बोझ उठाया,
प्रेम में उसके अमृत जीवन जिससे मिले उद्वार
2 जिसने प्रेम यह पाया, उसमें छल न माया,
प्रेम की वीणा गूंजे स्वर में, प्रेम का बजता तार
3 प्रेम का नग और मोती, नव जीवन की ज्योति,
प्रेम के इन रतनों से, आओ अपना करे श्रृंगार